हिंदी मीडियम और इंग्लिश मीडियम ???
कुछ दिन पहले बेटे के स्कूल में अभिभावकों के लिए एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम रखा गया था जिसमे अपने स्कूल के बारे में बताया जा रहा
कुछ दिन पहले बेटे के स्कूल में अभिभावकों के लिए एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम रखा गया था जिसमे अपने स्कूल के बारे में बताया जा रहा
जी हाँ, हम पंछी एक डाल के..और इस डाल का नाम है सोशल मीडिया…हम सब रहते तो इसी डाल पे है लेकिन इस पर रहने
बस मेरा पेपर अच्छे से हो जाये, मेरे इतने दिनों की मेहनत सफल हो जाये बस..स्वाति मन ही मन बुदबुदाते हुए अपने पेपर की तैयारी
माँ, मैं बहुत परेशान हूँ यहाँ, मेरी सास हमेशा मुझे हर बात के लिए टोकती रहती हैं। मुझे नहीं रहना यहाँ, और सौरभ..उसे तो फुर्सत
नमस्कार मैं ख़ुशी…अरे नहीं-नहीं वो आपके पड़ोसी शर्मा जी की बेटी ख़ुशी नहीं और ना ही वो जो आपके कॉलेज में साथ पढ़ने वाली चुप
आज मन सुबह से ही कुछ बेचैन था। किसी काम में भी मन नहीं लग रहा था। तभी फ़ोन की घंटी बजी देखा तो मम्मी
हमसे तो आप पहले मिल ही चुके हैं। क्या कहा- नहीं, अरे! अरे! हम वही श्यामा चुतर्वेदी। हमारे पति लखन चतुर्वेदी। फूल वाला अभियान…गोभी मसाला…याद
नमस्कार, हम श्यामा चतुर्वेदी । अरे… अरे…. , इतना फीका सा जवाब, थोड़ा मुस्करा कर दीजिये। हाँ, ये हुई ना बात…पता है हमारी दादी हमेशा
मत रोको आज मुझे ,आज बस यूँ ही गुनगुनाने दो..मत समझो सुर और ताल को, बस मुझे आज अपनी धुन में ही गाने दो..उड़ जाने
हाँ हाँ , बिल्क़ुल सही सुना तुमने तुम आते ही क्यों हो ! तुम्हे पता है पूरे सप्ताह तुम्हारा पलकें बिछाये इंतज़ार करती हूँ मैं