मत रोको आज मुझे
मत रोको आज मुझे ,आज बस यूँ ही गुनगुनाने दो..मत समझो सुर और ताल को, बस मुझे आज अपनी धुन में ही गाने दो..उड़ जाने
मत रोको आज मुझे ,आज बस यूँ ही गुनगुनाने दो..मत समझो सुर और ताल को, बस मुझे आज अपनी धुन में ही गाने दो..उड़ जाने
हाँ हाँ , बिल्क़ुल सही सुना तुमने तुम आते ही क्यों हो ! तुम्हे पता है पूरे सप्ताह तुम्हारा पलकें बिछाये इंतज़ार करती हूँ मैं
अक्सर घर पर रहने वाली माँ और नौकरीपेशा माँ की तुलना एक चर्चा का विषय रहता है । कुछ लोगों को लगता है कि घर